हृदयसंकल्प के साथ लक्ष्य की ओर प्रवृत्त रहना श्रद्धा है।
2.
सभी प्राणियों में आत्मवत-दृष्टि रखने तथा उनके हित के लिए प्रवृत्त रहना ही अहिंसा है।
3.
उसकी सेवा, सुरक्षा एवं शोभा बढ़ाने में प्रवृत्त रहना ही मेरे लिए श्रेयस्कर है।
4.
अतः किसी भी गम्भीरऔर निष्ठावान आलोचक को सम-~ कालीन रचनाकारों की प्रतिकूल टिप्पणियों की परवाह कियेबिना आलोचना-कर्म में प्रवृत्त रहना चाहिये.
5.
एकाग्रता-चित्त का किसी एक विषय में प्रवृत्त रहना, अर्थात् उसी एक विषय में टिके रहना एकाग्रता है ।
6.
साधारण हो जाना ही, सबसे असाधारण घटना होती है और हमें हमेशा इसका मुरीद तथा इस हेतु प्रवृत्त रहना चाहिए।
7.
वस्तुतः प्रकृति की प्रवृत्ति तो कभी रुद्ध नहीं होती, पर जिस आत्मा को विवेकज्ञान हो गया है, उसके लिए प्रकृति का कोई प्रयोजन नहीं रहता ; इसलिये, उसकी दृष्टि से प्रकृति का प्रवृत्त रहना या न रहना कोई विशेषता नहीं रखता ।
8.
लाल रंग में लिखी बात कितनी महत्वपूर्ण कही आपने! लेखनी के लोक में आलोक लाने के लिये हमें विरोध तो सहने ही होंगे, और बिना विचलन के अपने इस पुण्य-कर्म में प्रवृत्त रहना ही होगा! प्रविष्टि ने कबीर के मंतव्यों की झलक दी ।